कहते हैं कि..
विवेकानन्द जागो !
विवेक को जगाओ , आनन्द को भी जगाओ
ये समय है परिवर्तन का, ज्ञान चक्षुयों को सक्रिय करने का
जलाओ अपने उत्साह की प्रचंड अग्नि को
जलाओ निरुत्साह रूपी निराशा को
जिन्दगी हो गयी है विवर्तन
हर कदम पर समझौतों का ही प्रसन
विवेक ढूंढे आनन्द को, आनन्द ढूंढे विवेक को
बात आकर वही अटकी कि…
साड़ी बीच नारी है कि नारी बीच साड़ी है
बात अब इतनी उलझ गयी है कि, मैंने उलझना छोड़ दिया
जब मेरा विवेक जगा, तब मैंने ढूढना छोड़ दिया
-------------------------------------
अब मेरा आनंद जागा
बात आकर वही अटकी कि…
कस्तूरी कुंडली बसे मृग ढूदे वन माहि
जलो तो जलो शांति की अग्नि में
डूबो तो डूबो ध्यान कि नदिया में
जिंदगी हो जाएगी प्रवर्तन
हर कदम पर होगा आत्मोल्लास का अंकन
विवेक मिलेगा आनन्द को, आनन्द मिलेगा विवेक को
कहते हैं कि…
विवेकानन्द जागो
विवेक को जगाओ, आनन्द को भी जगाओ
ये समय है आत्ममंथन का, स्वावलंब को ज्वलन्त करने का
विवेकानन्द जागो !
विवेक को जगाओ , आनन्द को भी जगाओ
ये समय है परिवर्तन का, ज्ञान चक्षुयों को सक्रिय करने का
जलाओ अपने उत्साह की प्रचंड अग्नि को
जलाओ निरुत्साह रूपी निराशा को
जिन्दगी हो गयी है विवर्तन
हर कदम पर समझौतों का ही प्रसन
विवेक ढूंढे आनन्द को, आनन्द ढूंढे विवेक को
बात आकर वही अटकी कि…
साड़ी बीच नारी है कि नारी बीच साड़ी है
बात अब इतनी उलझ गयी है कि, मैंने उलझना छोड़ दिया
जब मेरा विवेक जगा, तब मैंने ढूढना छोड़ दिया
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अब मेरा आनंद जागा
बात आकर वही अटकी कि…
कस्तूरी कुंडली बसे मृग ढूदे वन माहि
जलो तो जलो शांति की अग्नि में
डूबो तो डूबो ध्यान कि नदिया में
जिंदगी हो जाएगी प्रवर्तन
हर कदम पर होगा आत्मोल्लास का अंकन
विवेक मिलेगा आनन्द को, आनन्द मिलेगा विवेक को
कहते हैं कि…
विवेकानन्द जागो
विवेक को जगाओ, आनन्द को भी जगाओ
ये समय है आत्ममंथन का, स्वावलंब को ज्वलन्त करने का
-Jasp Vivekanand
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